राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) किसे कहते हैं। - Library Science

राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) किसे कहते हैं। राष्ट्रीय ग्रन्थालय के परिभाषाएँ, कार्य और विशेषताएं


किसी भी देश के वैभव एवम् इतिहास तथा मानव जाति द्वारा अर्जित  ज्ञान एवम उसके द्वारा प्राप्त उपलब्धियों को सुरक्षित एवम् संरक्षित रखने हेतु देश के केन्द्र में एक ग्रन्थालय की अत्यन्त आवश्यकता होती है जिसे राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) कहते हैं।

राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) का अर्थ किसी भी देश की राष्ट्रीय सरकार द्वारा अपने नागरिकों को अध्ययनशील बनाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित ग्रन्थालय से होता है जो किसी भी देश का एक अधिकृत ग्रन्थालय होता है जिसका संचालन उस देश की केन्द्रीय सरकार करती है

जिसमें पूरे देश में प्रकाशित समस्त सामग्री को संग्रहीत किया जाता है तथा जिसकी सेवाएँ प्राप्त करने का अधिकारी देश का प्रत्येक नागरिक हो सकता है। राष्ट्रीय ग्रन्थालय के द्वार राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के  लिए स्वतंत्र रूप से खुले रहते हैं।


राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी)
राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) किसे कहते हैं। परिभाषाएँ, कार्य और विशेषताएं


कुछ देशों के राष्ट्रीय ग्रन्थालयों (National Library) के उदाहरण निम्न हैं

(1) National Library (India), Kolkata.
(2) Library of Congress (USA), Washington, D.C.
(3) British Library (UK), London.
(4) The State Lenin Library (Russia), Moscow.
(5) National Diet Library (Japan), Tokyo.

राष्ट्रीय ग्रन्थालय का परिभाषाएँ (Definition of National Library)


1. राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) वह ग्रन्थालय होता है जिसका रखरखाव राष्ट्र के द्वारा किया जाता है। 

2. किसी देश का राष्ट्रीय ग्रन्थालय सम्पूर्ण राष्ट्र के ग्रन्थ उत्पादन के संग्रहण एवम्र अनुरक्षण के लिए भावी पीढ़ी के उपयोगार्थ उत्तरदायी होता है।

2. राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) में ग्रन्थों तथा अन्य इसी प्रकार की सामग्री का अध्ययन के लिए संकलन होता है। 

राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) के विशेषताएँ (Characteristics of National Library)


इस प्रकार हम राष्ट्रीय ग्रन्थालय में निम्न विशेषताएँ देख सकते हैं 

1. राष्ट्रीय ग्रन्थालय किसी भी देश का एक केन्द्रीय ग्रन्थालय होता है।

2. जिसका संचालन देश की राष्ट्रीय सरकार राष्ट्रीय धन से करती है।

3. इसमें पूरे देश में प्रकाशित समस्त पाठ्य-सामग्री का संकलन किया जाता है।

4. यह राष्ट्रीय महत्व की संस्था होती है जिसका कोई भी व्यक्ति पाठक हो सकता है अर्थात् यह सम्पूर्ण राष्ट्र की सेवा करता है।

5. राष्ट्रीय ग्रन्थालय मात्र कापीराइट ग्रन्थालय होते हैं जिनमें ग्रन्थ मात्र सन्दर्भ के लिए संरक्षित किये जाते हैं।

राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) के कार्य (Functions of National Library) 


चूंकि किसी भी देश का राष्ट्रीय ग्रन्थालय राष्ट्र का एक केन्द्रीय ग्रन्थालय होता है अतः वह राष्ट्रीय स्तर के कार्य उस देश के नागरिकों के हितार्थ करता है जो निम्न हैं 

1. राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) राष्ट्र में प्रकाशित सभी ग्रन्थों का संग्रह करता है।

2. यह राष्ट्र के लिए कापीराइट एक्ट के अधीन प्राप्त ग्रन्थों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक संग्रहण ग्रन्थालय के रूप में भी कार्य करता है।

3. राष्ट्र में स्थित अन्य ग्रन्थालयों में उपलब्ध दुर्लभ ग्रन्थों की एक प्रतिलिपि अपने यहाँ भी संग्रहीत करता है।

4. राष्ट के प्रत्येक नागरिक को किसी भी भेदभाव के बिना पठन-पाठन की सुविधा प्रदान करता है।

5. राष्ट्र के अन्य सभी ग्रन्थालयों को सभी प्रकार की सहायता तथा निर्देशन प्रदान करता है।

6. विभिन्न विषयों की राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय ग्रन्थ सन्दर्भ सूची तैयार करता है।

7. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है।

8. अन्तर्ग्रन्थालय ऋण के माध्यम से अपने पाठको को विदेशों से भी ग्रन्थ प्रदान सुविधा उपलब्ध करता है।

9. संघ प्रसूची तैयार करना भी राष्ट्रीय ग्रन्थालय का कार्य है।

10. यह राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के साथ-साथ स्थानीय व्यक्तियों को भी अपनी ग्रन्थालय सेवा प्रदान करता है।

11. विदेशों के राष्ट्रीय ग्रन्थालयों से समन्वय एवम् सामन्जस्य बनाये रखता है।

12. राष्ट्रीय ग्रन्थालय (नेशनल लाइब्रेरी) सेवा में प्रयुक्त की जाने वाली नवीन विधियों एवम् तकनीकियों से देश के सभी अन्य ग्रन्थालयों को अवगत करता है। 

To Know More About Library Science Click on the Link Given Below
1. Library and Society
2. Library Management
3. Library Cataloging
4. Library Classification
5. Information Source
6. MCQs on Library Science
8. Jobs in Library Science
Join Library Science Group for Latest Updates

Post a Comment

Post a Comment (0)

Previous Post Next Post